घ) 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में बंगाल में गुप्त समितियाँ क्यों बनने लगी?
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भारत के प्रागैतिहासिक काल के इतिहास में भी बंगाल का विशिष्ट स्थान है। सिकंदर के आक्रमण के समय बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य था। गुप्त तथा मौर्य सम्राटों का बंगाल पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। बाद में शशांक बंगाल नरेश बना। कहा जाता है कि उसने सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर-पूर्वी भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके बाद गोपाल ने सत्ता संभाली और पाल राजवंश की स्थापना की। पालों ने विशाल साम्राज्य खड़ा किया और चार शताब्दियों तक राज्य किया। पाल राजाओं के बाद बंगाल पर सेन राजवंश का अधिकार हुआ, जिसे दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने परास्त किया। सोलहवीं शताब्दी में मुगलकाल के प्रारंभ से पहले बंगाल पर अनेक मुस्लमान राजाओं और सुल्तानों ने शासन किया।
मुगलों के पश्चात् आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेजी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन् 1757 में प्लासी के युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेजों ने पहले-पहल बंगाल और भारत में अपने पांव जमाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन कर दिया लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला और तेजी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आजादी और विभाजन के साथ हुआ। 1947 के बाद देशी रियासतों के विलय का काम शुरू हुआ और राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की सिफारिशों के अनुसार पड़ोसी राज्यों के कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को भी पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया।