(घ) 'बूढ़ी पृथ्वी का दुख' कविता में पेड़ों के हज़ारों हज़ार हाथों से हिलने से अभिप्राय है -
(A) रक्षा की गुहार लगाना
(B) खुशी से झूम उठना
(C) तूफ़ान से काँपना
(D) हवा से थिरकना
(ङ्) "इसे जगाओ' कविता में क्षिप्र' किसे बताया गया है ?
(A) जो घबराकर भागता है
(B) जो तेज़ रफ्तार से चलता है
(C) जो अवसर को नहीं चूकता
(D) जो क्षणभर को सजग रहता है
Answers
Answer:
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Answer:
(घ) (A) रक्षा की गुहार लगाना
(ङ्) (D) जो क्षणभर को सजग रहता है
Explanation:
बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता कवयित्री का नाम निर्मला पुतुल द्वारा लिखी गई है | इस पाठ को पढ़कर हमें अपनी पृथ्वी के दुखों का ज्ञान हुआ। हमें पता चला हम मनुष्य इस पृथ्वी को कितना दुख देने में लगे हुए हैं। इस पाठ को पढ़कर हमें यह सीख मिली कि हमें अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। बूढ़ी पृथ्वी का दुख दूर करने के लिए आप समाज को पृथ्वी को साफ-सुथरा रखने के लिए उजागर कर सकते है | स्वच्छता अभियान के जरिए समाज के लोगों को सफाई के महत्व को समझा सकते है | हम अधिक से अधिक पेड़ लगायें और पेड़ों को कटने से बचायें। धरती पर उपस्थित हरियाली को नष्ट ना करें। हम अपनी नदियों को प्रदूषित ना करें, उनमें व्यर्थ का कचरा और कल-कारखानों का अपशिष्ट न बहायें। हम अपनी हवा को भी प्रदूषित होने से बचायें। वाहनों और फैक्टरियों के जहरीले धुएं से हवा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हम वाहनों का कम से कम उपयोग करें और कारखानों ऐसे उपायों का प्रयोग करें, जिससे प्रदूषण कम हो। जो लोग नियमों का उलंघन करना हुआ जाता है , उसे कड़ी सजा देनी चाहिए |
#SPJ3