(घ) डॉ. अम्बेदकर के आदर्श समाज की कल्पना में 'भ्रातृता' के महत्व को स्पष्ट
कीजिए।
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डॉ. अम्बेदकर के आदर्श समाज की कल्पना में 'भ्रातृता' के महत्व को स्पष्ट
कीजिए।
मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर आप में से कुछ लोग जाति के दु:खद प्रभावों की इस थकाऊ कहानी को सुनकर थक गए हैं। इसमें नया कुछ भी नहीं है। इसलिए मैं समस्या के रचनात्मक पक्ष की ओर रुख करूंगा। यदि आप जाति नहीं चाहते हैं तो आपका आदर्श समाज क्या है, यह एक ऐसा प्रश्न है जो आपसे पूछा जाना तय है। यदि आप मुझसे पूछें तो मेरा आदर्श स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर आधारित समाज होगा। और क्यों नहीं?भाईचारे से क्या आपत्ति हो सकती है? मैं कोई कल्पना नहीं कर सकता। एक आदर्श समाज में कई हितों को सचेत रूप से संप्रेषित और साझा किया जाना चाहिए। जुड़ाव के अन्य तरीकों के साथ संपर्क के विविध और मुक्त बिंदु होने चाहिए। दूसरे शब्दों में, सामाजिक एंडोस्मोसिस होना चाहिए। यह है बंधुत्व, जो लोकतंत्र का ही दूसरा नाम है। लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है। यह मुख्य रूप से जुड़े रहने, संयुक्त, संप्रेषित अनुभव की एक विधा है। यह अनिवार्य रूप से अपने साथी पुरुषों के प्रति सम्मान और सम्मान का रवैया है।