'घंगडी का सिर नीचा' विषय पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
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घंमडी का सिर नीचा एक प्रचलित मुहावरा है। इसका अर्थ है कि जो आदमी घमंड करता है उसकी समाज में उपेक्षा हो जाती है और वह गुमनामी के अँधेरे में डूबकर मर जाता है। वैसे तो बड़े ग्रंथों में घंमड करना पाप होता है। राजाओं के घमंड के कारण ही सनृ 1756 में प्रफांस के लोगों ने राजाओं का कत्ल कर दिया था। यही नहीं घमंड के कारण कई परिवार नष्ट हो चुके है। इस उक्ति पर मुझे एक कहानी स्मरण हो रही है।
एक बार घौडापुर में एक राजा रहते थे। उनकी प्रजा उन्हें महान बादशाह शेरसिंह कहकर बुलाती थी। राजा ने अपने राज्य में सुख संपन्नता और शान्ति बनाई हुई थी। राजा की एक ही पेरशानी थी चंदनपुर का राजा। चंदनपुर का राजा भूकमसिंह अति बलवान, कुशल और शक्तिशाली था। भूकमसिंह घौंडापुर पर हमला करने में असमर्थ था क्योंकि शेरसिंह ने बाकि राज्यों से गहरी मित्राता कर रखी थी।
शेरसिंह का एक इकलौता पुत्र था। उसका नाम गधा सिंह था। दुलार प्यार ने उसे घमंडी बना दिया था। उसकी सब वस्तुएँ और वस्त्र विदेश से आते थे। वह राजा का पुत्र होते हुए समझाता था कि वह सबकुछ कर सकता है। यही विचार से वह हर कार्य अपने मन से करता और किसी की बात न सुनता। अपनी कक्षा में तीव्र बुद्धि वाले छात्रों का अपहरण करवा देता। कोई अध्यापकों को मिटवाता और जो कोई उसकी बात न सुनता वह मगरमच्छों का खाना बनता। धीरे-धीरे वह बड़ा हो गया। उसका व्यवहार एकदम बदलने लगा। वह अब अपने पिता पर क्रोध करने लगा और उनकी बातों का विरोध करने लगा। राजा ने अपने पुत्र को महल के कमरे में हमेशा बंद करवाने को कहा।
किसी तरीके से गधा सिंह ने कमरे का किवाड़ तोड़ा। तलवार ली और अपने पिता का कत्ल करके अपने आप को राजा घोषित किया। भूकम सिंह इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था। प्रजा की समस्याओं का निदान नहीं करता था। मनोरंजन के लिये मासूम लोगों को जानवरों से लड़ने के लिये कहता। यही नहीं उसने राज्य में कहलवादिया कि उसके अलावा सब अछूत है। प्रजा को नौकर की तरह रखता। रोज 10 युवकों को बुलाता और उन्हें खूब मारता जब तक वह कहते नहीं कि गधा सिंह सबसे धनवान और ताकतवर है और वह अभी तक का सबसे अच्छा राजा है। उसकी सेना भी उससे चिड़ने लगी।
आसपास के राज्यों को पत्रों में लिखता कि वह उसे अपने राज्य सौंप दें वरना वह उनको शेरों को दे देगा जब वह उनपर वार करेगा। यही नहीं उसने भूकमसिंह को लिख दिया कि वह राजा के रूप में गधा है और सिर्फ बोलना जानता है। भूकमसिंह क्रोधित हो गये। अपनी सेना ली और गधा सिंह का सर्वनाश करने को कहा। बाकि राज्यों की सेना भी मिल गई। गधा सिंह की सेना ने लड़ने को मना कर दिया और भूकमसिंह से मिल गई। गधा सिंह न शहर के किवाड़ बंद करवाने को कहा परंतु प्रज्ञा ने आज्ञा का पालन नहीं किया। गधा सिंह पकड़ा गया। उसका घमंड अभी तक नहीं गया। उसने कहा कि वह उन्हें पैसे दे रहा है ताकि वे नौकर बन जाये। क्रोधित होकर भूकमसिंह ने उसका सिर काट दिया। घमंड ने गधा सिंह का सर्वनाश कर दिया।
एक जंगल में आम और बांस का वृक्ष साथ-साथ बड़े हो रहे थे. एक दिन बांस ने आम के वृक्ष से बड़े घमण्ड से कहा -” मैं कितनी जल्दी बड़ा हो रहा हूँ. कद में तुंम मुझ से कितने छोटे हो.” आम के वृक्ष ने बांस के बड़े होने की सराहना की, लेकिन अपने विषय में कही गयी बात के लिए असंतोष व्यक्त नहीं किया.
समय बीतता गया. एक दिन बांस ने फिर इठला कर कहा –
” फलों से लद कर भी तुम्हे नीचा देखना पड़ रहा है. तुम तो और भी पृथ्वी की ओर झुक गए हो. मुझे देखो मैं पक और सूखकर सुनहरा और सुंदर हो गया हूँ.”
आम के वृक्ष ने बांस के रूप रंग की सराहना की लेकिन इस बार भी वह अपने लिए की गयी टिपण्णी के लिए मौन रहा.
एक रात यात्रियों का एक समूह रात्रि विश्राम के लिए आश्रय ढूँढ रहा था. विश्राम के लिए उन्हें आम का छाया दार फलों से लदा वृक्ष बहुत भाया. सभी यात्री वहां विश्राम करने लगे. भोजन बनाने के लिए लकड़ी की आवश्यकता पड़ी. यात्रियों की दृष्टि सूखे बांस की और गयी, बांस को काट कर आग जलाई तो बांस तड़-तड़ कर बड़बड़ाने लगा.
आम का वृक्ष यात्रियों को फल और छाया का सुख पाते देख कर संतुष्ट था.
ज़िन्दगी की सीख :
जीवन में घमंड करने का परिणाम अक्सर बुरा होता है.