घाघ वर्षा का अनुमान कैसे लगाते थे?
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1. पुरवईया की आहट
सावन मास बहै पुरवाई।
बरधा बेंच लेऊ धनु गाई।।
2. कौओं और सियार से संकेत
रात मा बोले कागला, दिन मा बोले स्यार।
या होये झरवदरी या फिर देश उजार।।
3. और ये विदाई घड़ी
दिन में गर्मी रात में ओस।
घाघ कहै वर्षा सौ कोस..।।
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Din Ki Garmi raat ki or se Barsat Ki Barkha so khoch
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