घ) ईश्वर कण-कण में व्याप्त
कण-कण में व्याप्त 2 हम उसया
जाती
ड) मीरा ॐन-ॐ महलों के बीच-बीच में रि'को बनाना
पितालाखत प्रश्नों के उत्तर
दाम 2/5-
दति
जीव लातीनी
50-60 शाम
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ईश्वर कण-कण में व्याप्त है फिर भी हम उसे देख नहीं पाते क्योंकि हम उसे उचित जगह पर तलाशते ही नहीं हैं। ईश्वर तो हमारे भीतर है लेकिन हम उसे अपने भीतर ढ़ूँढ़ने की बजाय अन्य स्थानों; जैसे तीर्थ स्थल, मंदिर, मस्जिद आदि में ढ़ूँढ़ते हैं।
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