Hindi, asked by ay3211866, 5 months ago

(घ) जिसे तुम गृहणित समझते हो उसकी तरफ हाथ की नहीं पाँव की अंगुली से इशारा करते हो - निहित
व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
ध्यानपर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-​

Answers

Answered by guptakhusbhu47
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Answer:

तुम मुझ पर या हम सभी पर हँस रहे हो, उन पर जो अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं। तुम कह रहे हो-मैंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अँगुली बाहर निकल आई, पर पाँव बच रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अँगुली को ढाँकने की चिंता में तलुवे का नाश कर रहे हो। तुम चलोगे कैसे?

लेखक के अनुसार प्रेमचंद किन पर हँस रहे हैं?

प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को क्या व्यंग्य नज़र आता है?

प्रेमचंद को किनके चलने की चिंता सता रही है?

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