घ) "जिसके पास केवल धन है, उससे बढ़कर गरीब और कोई नहीं।" पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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घ) "जिसके पास केवल धन है, उससे बढ़कर गरीब और कोई नहीं।" पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
ok
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"जिसके पास केवल धन है, उससे बढ़कर गरीब कोई नहीं ।" इस पंक्ति का यह अर्थ है कि जब हमारे पास केवल धन होता तो हम सिर्फ धन के बारे में ही सोचते हैं। हमारे लिए कोई भी अपना नहीं होता, हम हमेशा भयभीत रहते हैं कि कोई हमारा धन ना ले ले इसी माया मोह में हम बिल्कुल अकेले हो जाते हैं। लेकिन जब हम धन का मोह छोड़ देते हैं तो पूरा संसार ही हमे अपना सगा अपना परिवार लगने लगता है। हर किसी का दर्द हमें अपना लगता है और हर किसी की खुशी हमें अपनी लगती है । यानि कि सभी हमारे प्रियजन और हम सभी के प्रिय बन जाते हैं। हमें प्रेम रूपी अमूल्य धन की प्राप्ति हो जाती है। केवल धनमोह इस आमूल्य धन की प्राप्ति में बाधक होता है और हम गरीब रह जाते हैं । किसी ने सच ही कहा है, " मुझसे धनी कोई नहीं है है, क्योंकि मैं भगवान के अतिरिक्त किसी का दास (नौकर ) नहीं हूँ।"