(घ)
का अर्थ है- माता की भाषा।
(ङ) भाषा का आधार
हैं।
(च)
व्याकरण के
भाग होते हैं।
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करुण रस की परिभाषा, भेद और उदाहरण। Karun ras in Hindi
April 20, 2020 by hindicoaching.in
इस लेख के माध्यम से आप करुण रस के अंग, भेद, परिभाषा, उदाहरण आदि को विस्तार से समझ सकेंगे। यह लेख सभी स्तर के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है।
इस लेख के अध्ययन के उपरांत आप करुण रस के समस्त आयामों से परिचित हो सकेंगे। अपने ज्ञान का विस्तार कर इस रस के समस्त प्रश्नों का उत्तर आप स्वयं दे सकेंगे।
यह लेख इस रस के समस्त विषयों को अपने अंदर समाहित करता है।
इसके अध्ययन के उपरांत आपको किसी अन्य स्रोत का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी –
करुण रस की परिभाषा
परिभषा :- अपने प्रिय जनों के बिछड़ जाने या किसी ऐसे प्रिय वस्तु का अनिष्ट हो जाने पर व्यक्ति में शोक का भाव जागृत होता है। उस भाव को करुण रस कहते हैं।
शास्त्र के अनुसार अशोक नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव अनुभव एवं संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद रूप धारण करता है तब इसकी परिणीति करुण रस में होती है।
स्थाई भाव :- शोक
उद्दीपन विभाव :-
प्रिय जन का वियोग ,