(घ) कुम्भनदास कौन थे? उनका जूता कैसे घिस गया था?
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आवत जात पन्हइयाँ घिस गईं बिसरि गयौ हरिनाम।। प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला।
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