(घ) कोविड-19 के दौरान वर्क फ्रॉम होम की एक प्रक्रिया जो आरंभ हुई उसने व्यक्ति की दैनिक जीवन क्रम और कर्म को
कितना प्रभावित किया-इस विषय पर अपनी आत्मकथा लिखिए।
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देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थितियां उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेंगी, जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी करेगा.
गाजियाबाद में हापुड़ रोड के एक फ्लाईओवर के नीचे बैठे प्रवासी श्रमिक. (फोटो: पीटीआई)
केंद्र सरकार ने अभी तक इस बात की कोई घोषणा नहीं की है कि भारत में फैले कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन के कारण पहले से ही सामना कर रहे आर्थिक आपातकाल से निपटने की उसकी क्या योजना है.
ऐसी स्थिति में लोगों की तत्काल मदद करने के लिए नकदी से लेकर शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के लिए सामान देकर सहायता तथा स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक उपायों के बारे में कुछ सुझाव हैं, जिन पर गौर किया जा सकता है.
कोरोना वायरस रोग 2019 (कोविड-19) के प्रसार और इसके आगे के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए अनियोजित लॉकडाउन ने ऐसे लाखों लोगों के जीवन में एक आर्थिक तबाही मचा दी है जो अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं– इनमें न केवल दिहाड़ी मज़दूर हैं बल्कि अनियमित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले मजदूर भी हैं.
रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, भारत के कुल कार्यबल का 80% से अधिक हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, इसमें से एक तिहाई कैज़ुअल मजदूर हैं.
प्रधानमंत्री द्वारा 19 मार्च को दिए गए संबोधन के 24 घंटों के भीतर महानगरों के रेलवे और बस स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई. जो लोग कमा नहीं सकते, वे अपने घर जाना चाहते थे, जहां उन्हें कम से कम खाना और आश्रय तो मिलेगा.
वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थिति उन लोगों को भी प्रभावित करेगी जो कोविड-19 से बच जाएंगे. इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत क्या किया जा सकता है, इस पर कुछ सुझाव हैं.