घ कति मानव रक्षा के
लिए क्या करना
जग जीवन में जो चिर-महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्य-प्राण।
मैं उनका प्रेमी बनूँ नाथ,
जो हो मानव के हित समान।
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
एट भय, संशय, अंधभक्ति।
में वह प्रकाश बन सकूँ नाथ,
मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति।
पाकर प्रभु तुमसे अमर दान,
करके मानव का परित्राणा
ला सकू विश्व में एक बार,
फिर से नवजीवन का विहान।
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टप पपप ममम ठछठठ टछछ ठछठठ ज ज ज ग संघ
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