घ) प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए। (i) युग की नई मूर्ति-रचना में इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है।
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हमें नफरत की आग को समाप्त कर समाज में मलय पर्वत से आने वाली हवा की तरह शीतलता और शांति लाने का प्रयत्न करना चाहिए। इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥ अर्थ: इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि नए समाज के निर्माण में हमें आगे बढ़कर अपनी कल्पनाओं को आकार देकर उन्हे वास्तविक जीवन में लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
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घ) प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए। (i) युग की नई मूर्ति-रचना में इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है।
घ) प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए। (i) युग की नई मूर्ति-रचना में इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है।
घ) प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए। (i) युग की नई मूर्ति-रचना में इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है।
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