घा
प्रतिमा कसन आर
र कहा
8. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर नीचे लिखे गए प्रश्नो के उत्तर लिखें
हमारै हरि हारिल की लकड़ी
मन क्रम वचन नंद-नंदन उर यह दृढ़ करि पकरी
जागत सोवत स्वन्प दिवस निसी, कान्ह-कान्ह जकरी
सुनत जोग लगत हैं ऐसौ, ज्यौ करुई ककरी।
सु तौ व्याधि हमकौ ले आए देखी सुति न करी ।
यह तो 'सूर' तिनही लै सौपो जिनके सुति मन चकरी।
क) गोपियो ने स्वंय को किसके समान माना ?
ख) हारिल पक्षी की लकड़ी किसे कहा गया ?
ग) चेतन-अचेतन अवस्था में गोपियाँ क्या करती है ?
घ) कड़वी ककड़ी किसके लिए कहा गया है ?
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hi
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घा
प्रतिमा कसन आर
र कहा
8. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर नीचे लिखे गए प्रश्नो के उत्तर लिखें
हमारै हरि हारिल की लकड़ी
मन क्रम वचन नंद-नंदन उर यह दृढ़ करि पकरी
जागत सोवत स्वन्प दिवस निसी, कान्ह-कान्ह जकरी
सुनत जोग लगत हैं ऐसौ, ज्यौ करुई ककरी।
सु तौ व्याधि हमकौ ले आए देखी सुति न करी ।
यह तो 'सूर' तिनही लै सौपो जिनके सुति मन चकरी।
क) गोपियो ने स्वंय को किसके समान माना ?
ख) हारिल पक्षी की लकड़ी किसे कहा गया ?
ग) चेतन-अचेतन अवस्था में गोपियाँ क्या करती है ?
घ) कड़वी ककड़ी किसके लिए कहा गया है ?
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