(घ) पग-पग पर छहरने वाली छटा से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उसका त्रिवेणी से
सम्बन्ध है?
(संकेत : त्रिवेणी के जल से ही पग पग पर समृद्धि दिखाई देती है।)
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जल संकट का स्थायी तथा सहज समाधान केवल-और-केवल प्रकृति ही कर सकती है। प्रकृति ने हजारों सालों से पानी की सुगम उपलब्धता ही नहीं, पर्याप्तता बनाए रखी है। हमारा तत्कालीन समाज सदियों से प्रकृति के संग्रहित पानी का बुद्धिमत्ता और प्राकृतिक नीति-नियमों के अनुसार ही कम-से-कम जरूरत का पानी लेता रहा। उसने बारिश के संग्रहित पानी का दोहन तो किया लेकिन लालच में आकर अंधाधुंध शोषण नहीं किया।
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