Hindi, asked by yugalmahto546479, 7 hours ago

(घ) पर मुझे सर्दी में अलाव जलता हुआ देखना अच्छा लगता है। लकड़ी-कण्डों का अभाव तो था ही नहीं। बस पर्णकुटी के बाहर बड़ा-सा ढेर लगाकर मैं होली जलाती और अतिथियों की गृहस्थी के साथ आई हुई एक पुरानी मचिया पर बैठकर तापती। उनके बच्चे, जो कल्पवास के कठोर नियमों से मुक्त थे और मेरी भक्तिन, जिसका कल्पवास परलोक से अधिक इस लोक से संबंध रखता था, आग के निकट बैठकर हाथ-पैर सेंकते। सच्चे कल्पवासी अपने और आग के बीच में इतना अंतर बनाए रखते थे, जितने में पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त महोदय धोखा खा सकें​

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Answered by rupeshpradhan07
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लकड़ी - कण्डों का अभाव तो था ही नहीं । बस पर्णकुटी के बाहर बड़ा - सा ढेर लगाकर मैं होली पर मुझे सर्दी में अलाव जलता हुआ देखना अच्छा लगता है। लकड़ी-कण्डों का अभाव तो था ही नहीं। बस पर्णकुटी के बाहर बड़ा-सा ढेर लगाकर मैं होली जलाती और अतिथियों की गृहस्थी के साथ आई हुई एक पुरानी मचिया पर बैठकर तापती। उनके बच्चे, जो कल्पवास के कठोर नियमों से मुक्त थे और मेरी भक्तिन, जिसका कल्पवास परलोक से अधिक इस लोक से संबंध रखता था, आग के निकट बैठकर हाथ-पैर सेंकते। सच्चे कल्पवासी अपने और आग के बीच में इतना अंतर बनाए रखते थे, जितने में पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त महोदय धोखा खा सकें |

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Answered by pujakips
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upar diye Gaye prashn ka Uttar

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