घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो, आज दवार-दुवार पर यह दिया बुझे नहीं. यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है । शक्ति का दिया हुआ. शक्ति को दिया हुआ. भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रता दिया हुआ. रुक रही न नाव हो. जोर का बहाव हो. आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं, यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है प्रथम चार पंकतियों का भावार्थ लिखिए।
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sorry mujhe nahin raha hai
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