घुर्णी गति में कार्य = बल आघुर्ण x
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घूर्णी गति और बल आघूर्ण
पिण्ड पर लगने वाला बल है। कोणीय त्वरण है। तृतीय नियम से कोणीय संवेग संरक्षण का सिद्धांत मिलता है।
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