घ) रहीम दासजी ने बिगड़ी बात की तुलना किससे की है?
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बिगड़ी बात बने नहीं लाख करो किन कोय रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय .अर्थ -मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन है जैसे अभी एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मत कर मक्खन नहीं निकाला जा सकता
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