(घ) सोना की शारीरिक एवं स्वाभाविक विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
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(घ) सोना की शारीरिक एवं स्वाभाविक विशेषताओं का वर्णन कीजिए?
सोना मंजरी पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई है| पाठ में लेखिका ने एक अनाथ हिरन को पाला है|
हिरन का नाम सोना है| लेखिका सोना से बहुत प्यार करती थी| सोना भी अपना प्यार दिखाने के लिए लेखिका के सिर के ऊपर छलांग लग देती थी |
सोना का रंग सुनहला था , उसकी कोमल और मखमल जैसे मुलायम रोएँ थे | उसका पतला और लम्बा मुँह था | बड़ी-बड़ी शीशे जैसे चमकती हुई आँखे थी | आँखों के चारों और काला कोर बना हुआ था | ऐसा लगता था जैसे काजल लगाया हो | उसके लम्बे-लम्बे काम बहुत सुन्दर थे |
सोना स्वभाव से बहुत स्नेही थी | वह महादेवी वर्माको बहुत प्यार करती थी | उनके साथ खेलती थी |
इसके सुनहरी रंग की रश्मि लच्छू की गांठ के समान उसका कोमल लघु शरीर था छोटा सा मुंह और बड़ी बड़ी आंखें देखती थी तो लगता था कि अभी छलक पड़ेगी सोना को मित्रता करने अच्छा लगता था वह सब से गाड़ी मित्रता कर चुकी थी उसका खेलकूद में ज्यादा मन लगता था इसलिए वह छोटू खेला करती थी वह अपने मालिक के प्रति बहुत स्नेह करती थी और अपने मालिक के प्रति स्नेह प्रदर्शन अपने मालिक की सर के ऊपर से छलांग लगाकर करती थी