(घ) स्पर्श व्यंजन और ऊष्म व्यंजन में अंतर बताइए।
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स्पर्श व्यंजन ऐसा व्यंजन होता है जिसमें व्यंजन उच्चारित करते हुए मुंह के किन्हीं दो भागों का स्पर्श कराने से वायु-प्रवाह पूरी तरह से रोक दिया जाए।
उष्म व्यंजनों से अर्थ उन व्यंजनों से है, जिनका उच्चारण घर्षण से उत्पन्न ऊष्म वायु से होता है।
Explanation:
व्यंजन
साधारण संलाप की भाषा में क से ज्ञ तक वर्णों को उपयोग में लाया जाता है, उन सभी बड़ों को व्यंजन कहते हैं। साधारणतया व्यंजन की संख्या ३३ मानी जाती है, परंतु ४ संयुक्त व्यंजन और २ द्विगुण व्यंजन को साधारण व्यंजन से मिलाने के बाद कुल व्यंजनों की संख्या ३९ मानी गई है। हिंदी व्याकरण में किसी भी शब्द की स्रोत का श्रेय व्यंजन को ही जाता है।
स्पर्श व्यंजन
स्पर्श व्यंजन होता है जिसमें व्यंजन उच्चारित करते हुए मुंह के किन्हीं दो भागों का स्पर्श कराने से वायु-प्रवाह पूरी तरह से रोक दिया जाए। उदाहरण के लिए ‘ब’ और ‘प’ में होंठ जोड़कर, ‘क’ और ‘ग’ में गले में वायु-प्रवाह रोककर, ‘त’ और ‘द’ में जिह्वा को दांतों से छुआ कर, तथा ‘ट’ और ‘ड’ में जीभ को तालू से छूकर यह व्यंजन उच्चारित करे जाते हैं।
हिंदी वर्णमाला में स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या २५ होती है जैसे-
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, व, भ, म
उष्म व्यंजन
उष्म व्यंजनों से अर्थ उन व्यंजनों से है, जिनका उच्चारण घर्षण से उत्पन्न ऊष्म वायु से होता है। अर्थात जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय अथवा बोलते समय श्वास वायु, मुख के विभिन्न भागों में टकराव खाती हुई ऊष्मा के साथ बाहर ध्वनि निकलती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। हिंदी भाषा में ऊष्म व्यंजन की कुल संख्या ४ है, जो निम्न हैं: श, ष, स, ह।
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