घाटे की वित्त व्यवस्था क्या होती है? इसे कैसे ठीक किया जाता है?
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Explanation:
यदि किसी अवधि में व्यय, संप्राप्ति (रिवेन्यू) से अधिक हो तो इसे घाटे की वित्त व्यवस्था (Deficit financing) या घाटे का बजट (deficit budget) कहते हैं, तथा व्यय और संप्राप्ति के अन्तर को घाटा या बजट घाटा (budget deficit) कहते हैं। 'घाटे के बजट' का विलोम 'बचत का बजट" (surplus budget) तथा 'बजट घाटा' का विलोम 'बजट अधिक्य' (budget surplus) है। घाटे/बचत की वित्त व्यवस्था किसी सरकार की हो सकती है, किसी निजी कम्पनी की, या किसी व्यक्ति की
अर्थशास्त्र में घाटे की वित्त व्यवस्था एक विवादास्पद विषय है जिसके लाभ/हानि पर विद्वानों के अलग-अलग विचार हैं।
जब सरकार की आय कम हो तथा व्यय अधिक हो तब ऐसी स्थिति में सरकार कर्ज लेकर व्यय करती है इसे बजट घाटा या हीनार्थ प्रबंधन कहते है
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घाटे की वित्त व्यवस्था
Explanation:
- अर्थव्यवस्था की स्थिति, जिसमें व्यय राजस्व से अधिक है, को घाटे की वित्त व्यवस्था कहा जाता है। यह आर्थिक स्वास्थ्य का सूचक है। बजट के घाटे का उपयोग आमतौर पर सरकारी खर्चों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
- घाटे की अर्थव्यवस्था को बढ़ते करों और सरकारी खर्च में कटौती करके सुधार किया जा सकता है। इस तरह की वित्तीय तंगी से आर्थिक विकास कम हो सकता है जिससे उच्च चक्रीय घाटा हो सकता है।
- हालांकि, जब सरकार की आय अधिक होती है और खर्च कम, तो इसे बजट अधिशेष में माना जाता है।
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