घ) “दोनों ही काल मिथ्या हैं-- इसका तात्पर्य है-
1. समय सदा सत्य नहीं रहता।
2. दोनों ही काल झूठे हैं।
3. व्यक्ति का नियंत्रण केवल वर्तमान पर रहता है।
4. व्यक्ति को खट्टी-मीठी यादों में उलझे नहीं रहना
चाहिए।
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samay sada stya nahi rahta
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