Hindi, asked by singhshivangi232233, 6 months ago

(घ) उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-​

Attachments:

Answers

Answered by Anonymous
7

hello brother

दुनिया में कई विग्न हैं

लेखिन इस विग्न इस युग पर कड़े हो चुके हैं

इस विग्न इस युग पर अडे हो रहा हैं( जैसे कोरोना महामारी )

और मानवता को रास्ता रोककर पहाड़ अड़े हुए हैं

कोई भी इसे न्याय देने की मदद या सुलभ नहीं दे पा रहा हैं

जब जब एक दूसरे मानव के बीच में भी चैन कहा धरती में शांति कहा हैं इस युग में?

hope it helps to u brother

pls markk it as brainlist

Answered by bhatiamona
0

उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

लेकिन विघ्न अनेक अभी,

इस पद पर अड़े हुए हैं,

मानवता की राह रोककर

पर्वत अड़े हुए हैं,

न्यायोचित सुख सुलभ नहीं,

जब तक मानव मानव को,

चयन कहां धरती पर तब तक,

शांति कहाँ इस भव को ?

संदर्भ : यह पंक्तियां रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित कुरुक्षेत्र नामक कविता से ली गई है। इन पंक्तियों का प्रसंग उस समय का है, जब भीष्म पितामह युधिष्ठिर को युद्ध क्षेत्र में उपदेश दे रहे हैं।

भावार्थ : भीष्म पितामह युधिष्ठिर से कहते हैं कि अभी हमारी धरती को स्वर्ग बनाने के लिए रास्ते में अनेक तरह की बाधाएं हैं। लोग अलग-अलग वर्गों में बैठे हुए हैं। समाज में अभी समानता का भाव लाना बेहद कठिन कार्य है। मानवता की राह में अनेक तरह की बाधाएं हैं। लोगों को धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण जैसे बातों ने बांट रखा है। अभी इस धरती पर मनुष्य को न्याय पाने योग्य सुविधाएं प्राप्त नहीं हो जाती। तब तक वह चैन से नहीं बैठ सकता। जब तक मानव का मन अशांत रहेगा इस धरती पर शांति की कल्पना कैसे की जा सकती है। जब तक व्यक्तियों को समान रूप से न्याय नहीं मिलेगा, समाज की शांति मुश्किल है।

#SPJ2

Learn more:

https://brainly.in/question/42614099

भूमा का सुख और उसकी महत्ता का जिसको आभास मात्र हो जाता है, उसको ये नश्वर चमकीले प्रदर्शन नहीं अभिभूत कर सकते, दूत! वह किसी बलवान की इच्छा का क्रीड़ा कंदूक नहीं बन सकता!

हिंदी गद्यांश क्वेश्चन संदर्भ प्रसंग व्याख्या

https://brainly.in/question/43606659

चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न हदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न। हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतान। जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमार

Similar questions