(घ) विद्यालय कल ही खुलेगा। (इस वाक्य में निपात छाँटिए)
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किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात कहते है।
जैसे- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।
उदाहरण- तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा।
तुमने तो हद कर दी।
कल मै भी आपके साथ चलूँगा।
गांधीजी को बच्चे तक जानते है।
धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।
नीरव खाने के साथ पानी भी पिता था।
संसार की विभिन्न भाषाओं में अनेक दृष्टियों से शब्दों का वर्गीकरण किया गया है। भारतवर्ष में शब्दों का प्राचीनतम वैज्ञानिक वर्गीकरण यास्क मुनि का माना जाता है। इसके अनुसार शब्द चार प्रकार के खातों में खतियाये गये हैं।
'चत्वारि पदजातानि नमाख्याते चोपसर्गनिपातश्च'
नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात। आजतक जितने भी शब्द-वर्गीकरण किये गये हैं उनमें इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
''भाषा में दो तरह के शब्द प्रमुख है- नाम और आख्यात- संज्ञाएँ और क्रियाएँ। दूसरे दर्ज पर हैं उपसर्ग और निपात (या अव्यय)। नाम और आख्यात स्वतंत्र चलते हैं और उपसर्ग, निपात इनकी सेवा में रहते हैं।''- ''हिन्दी शब्दानुशासन'' श्री किशोरीदास वाजपेयी''
निपात ऐसा सहायक शब्द भेद है जिसमें वे शब्द आते हैं जिनके प्रायः अपने शब्दावलोसंबंधी तथा वस्तुपरक अर्थ नहीं होते हैं।'' यथा- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।
अन्य शब्द भेदों से निपात का इस बात में अन्तर है कि अन्य शब्द भेदों का अर्थात संज्ञाओं, विशेषणों, सर्वनामों, क्रिया-विशेषणों आदि का अपना अर्थ होता है किन्तु निपातों का नहीं। वाक्य को अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य में होता है।
ये सहायक शब्द होते हुए भी निश्चित वाक्य नहीं हो सकते। वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का अर्थ प्रभावित होता है। निपात वाक्य में निम्नलिखित कार्य करते हैं।
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विद्यालय कल ही खुलेगा। इस वाक्य में ''ही'' निपात है।
- निपात:-
- जब किसी वाक्य में कुछ अव्यय शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर विशेष बल देते हैं या उस बात पर जोर देने की कोशिश करते हैं जिसे वक्ता द्वारा कहा गया है, तो वह अव्यय निपात कहलाते हैं। इन्हें वाक्यों का अवधारक भी कहा जाता है। इनका प्रयोग वाक्य में किसी बात को प्रधान रखने के लिए किया जाता है।
- हालांकि निपात के लिए प्रयोग किए शब्दों का कोई विशेष अर्थ नही होता है लेकिन जब यह किसी वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तो यह उसके सम्पूर्ण अर्थ को बदल देते हैं या भाव सहित प्रस्तुत करने में सहायक होते हैं। इनका स्वयं का कोई लिंग, वचन आदि नहीं होता है और ना ही यह किसी वाक्य के जरूरी अंग होते हैं। वाक्य में प्रयोग होने वाले तक, मत, ही, भी, जी, नहीं, न, काश, केवल आदि अव्यय निपात के उदाहरण हैं।
- जैसे:-
- रमेश ने ही मुझे मारा था।
- तुमने तो हद कर दी है।
- आज आपके साथ मैं भी चलूंगी।
- उसने मुझसे अभी तक बात नहीं की।
- यह काम हम लोगों ने ही किया है।