(घ) वकील तिकड़मदास ने कछुओं के मुखिया से पहले तो मुँह टेढ़ा कर लिया था किन्तु बाद में उसके प्रति सहानुभूति
दर्शाने लगा, क्योंकि
(i) उसे उन पर दया आ गयी,
(ii) वह निर्बल की सहायता करना वकील का धर्म मानता था,
(ii) वह खरगोश के प्रति बैर-भाव रखता था,
(iv) उसे शुद्ध सोने की इक्कीस मुद्राओं का लालच हो गया था
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harmansandhu6292:
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