Hindi, asked by sohanbailan0, 4 months ago

घायल पक्षी की देखभाल के बारे में पिता और पुत्र के मध्य हुई बातचीत को संवाद रूप में

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Answered by jayeshsargar52
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जब तक इंसान और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहेगा तब तक दुनिया के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है। लेकिन विकास की दौड़ में इंसान ने पर्यावरण के बारे में ज्यादा सोचना छोड़ दिया है। मोबाइल के इस दौर में वैसे भी रेडिएशन के कारण शहरों में पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्त होने की कगार में हैं। वहीं दूसरी ओर अपने शौक पूरा करने के लिए हम कभी भी उनकी जिंदगी के बारे में नहीं सोचते हैं और कई बार जाने अंजाने पक्षियों की जिंदगी संकट में पड़ जाती है। लेकिन एक इंसान ऐसा है जो ना सिर्फ इनके बारे में सोचता है बल्कि इनसे प्यार करता है और जरूरत पड़ने पर इन पक्षियों का इलाज भी कराता है। तभी तो राजस्थान के जयपुर शहर में रहने वाले रोहित गंगवाल इस साल अब तक 16 सौ से ज्यादा पक्षियों की जान बचा चुके हैं।

पेशे से जौहरी रोहित गंगवाल की पढ़ाई लिखाई जयपुर में ही हुई है। वो बताते हैं कि “जयपुर में साल 2006 के जनवरी महीने में मशहूर पतंग महोत्सव चल रहा था तो मैं भी वहां पर मौजूद था। प्रतियोगिता के दौरान अचानक एक पक्षी पतंग की डोर से घायल होकर जमीन में गिर गया। उसकी ऐसी हालत देख मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने उस पक्षी को अपने हाथ में उठा लिया। जिसके बाद में उसे बर्ड शेल्टर ले जाने लगा, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी।” इस घटना से रोहित को काफी धक्का लगा और उन्होने उसी दिन फैसला कर लिया कि वो अब अपने जीवन में घायल पक्षियों की देखभाल का काम करेंगे। इसके बाद रोहित ने अपने दोस्तों से इस बारे में बात की और पक्षियों के लिए ‘रक्षा’ नाम से एक संगठन बनाया।

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