घायल सैनिक की आत्मकथा निबंध
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एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर निबंध (Ek Ghayal Sainik Ki Atmakatha)
एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Autobiography Of An Injured Soldier In Hindi)
आज हम एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर निबंध (Essay On Autobiography Of An Injured Soldier In Hindi) लिखेंगे। एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
एक घायल सैनिक की आत्मकथा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Autobiography Of An Injured Soldier In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।
Autobiography Of An Injured Soldier Essay In Hindi
प्रस्तावना
एक सैनिक हमेशा देश के लिए निडर होकर लड़ता है। वह अपनी जान जोखिम में डालने से पूर्व एक बार भी सोचता नहीं है। सीमा पर तैनात वह हमेशा अपने मातृभूमि की रक्षा करता है। सिपाही का फ़र्ज़ होता है, देश और देशवासियों की रक्षा करना। सैनिक आखरी सांस तक अपने मातृभूमि के लिए लड़ता है।
शहीद की पत्नी और उसके परिवार को उस पर गर्व होता है। देश और देशवासियों की रक्षा करना उसका परम कर्त्तव्य है। सैनिक, सेना के कठिन प्रशिक्षण से गुजरते है। वह शपथ लेते है कि देश के आगे और देश से बढ़कर उनके लिए और कुछ नहीं है।
मेरा नाम गुरिंदर सिंह है, आज मैं अपनी आत्मकथा बताने जा रहा हूँ। मैं पंजाब के एक छोटे गाँव से हूँ। मेरे पिताजी और मेरे चाचाजी भी फ़ौज में भर्ती थे। सैनिक प्रशिक्षण में हर प्रकार के ड्रिल सिखाये जाते है। बन्दूक, मशीनगन, तोप चलाना, सभी प्रशिक्षण मैंने सीखा। दुश्मनो का निडर होकर कैसे सामना करना चाहिए और उनके छक्के छुड़ाना सभी चीज़ें प्रशिक्षण के समय सिखाई जाती है।
बचपन से था सैनिक बनने का सपना
आज युद्ध लड़ते लड़ते अचानक मैं घायल हो गया हूँ। लेकिन मुझे अपनी नहीं देश की फ़िक्र है। मैं अपनी परवाह बिलकुल नहीं करता हूँ। मैंने देश के लिए अपनी जान समर्पित कर दी है। इसका मुझे कोई गम नहीं है| बचपन में अपने साथियों को कहते हुए सुनता था कि उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और बड़े अफसर इत्यादि बनना है।
लेकिन मेरे लिए पैसा कमाना अहम नहीं था। मेरे पिताजी भी सेना में बड़े अफसर थे। उन्होंने भी अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। पिताजी के जाने का बहुत दुःख है, लेकिन अपने पिता पर मुझे गर्व है। मैं पिताजी के कदमो का अनुकरण करते हुए हमेशा से सैनिक बनना चाहता था। मैं बस इतना चाहता हूँ कि मेरा देश सुरक्षित और महफूज़ रहे।
पिताजी चाहते थे कि मैं सैनिक बनूँ
पिताजी भी चाहते थे कि मैं भी उनकी तरह देश सेवा करूँ। मैंने उनका सपना पूरा करते हुए, आज अपने देश के काम आया। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं देश की रक्षा हेतु सैनिक बना। मेरे पिताजी भी फ़ौज में थे। वह कश्मीर में पोस्टेड थे।
अचानक आतंकवादियों के आक्रमण से जूझते हुए उन्हें गोली लगी और वे शहीद हो गए। मेरे रक्त में बचपन से ही सैनिक बनने का जोश था। मैं हमेशा अपने मित्रों के साथ सैनिक बनने की बातों का जिक्र किया करता था। मैं बचपन से ही देश प्रेम के भाव के भावनाओ से प्रेरित हूँ।
देश की सुरक्षा, परम कर्त्तव्य
सैनिक की जिन्दगी की सबसे मूल चीज़ होती है देश की सुरक्षा। देश के कई सेना विभाग है। सभी अपने अपने जगह पर अपना फ़र्ज़ निभा रहे है। मैं सैनिक चैन की नींद नहीं सोता हूँ, क्यों कि मैं अपने देश की निगरानी के लिए कार्यरत हूँ। मैं अपने आपको खुशनसीब मानता हूँ कि भारत माता की रक्षा करने का सुनहला अवसर मुझे मिला है।
परिवार ने किया सैनिक बनने का समर्थन
जब मुझे सैनिक बनने के लिए प्रशिक्षण लेने के लिए जाना था, तब परिवार के लोगो ने मेरा भरपूर समर्थन किया। वे मेरे फैसले से बेहद खुश थे और गर्व महसूस कर रहे थे। घरवालों की याद मुझे आती थी, जब मैं प्रशिक्षण के लिए गया था।
मगर प्रशिक्षण में उनसे मुलाक़ात करने की इज़ाज़त नहीं थी। परिवार के आशीर्वाद के बिना मैं सैनिक नहीं बन पाता। मेरा परिवार चाहता था कि मैं अपना जीवन देश की रक्षा करने में समर्पित करूँ। मेरे पिताजी ने बचपन से ही मुझे साहसी और जिम्मेदार बनना सिखाया था। जब मैं सैनिक बनकर घर पर लौटा तो मेरी माँ के आँखों में ख़ुशी के आंसू थे।