घबरा कर भागने और क्षिप्र गति में क्या अंतर है?
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कवि 'घबराकर भागने और 'क्षिप्र गति से चलने' में अंतर बता रहा है। कवि कहता है, जो सही वक्त पर नहीं जागता वह आगे निकल गए लोगों का साथ पाने के लिए, घबराकर भागने लगता है। ... तेज गति से चलने वाला अपने लक्ष्य पर पहले या सही समय पर पहुँच जाता है।
घबरा कर भागने और क्षिप्र गति में क्या अंतर है?
घबरा कर भागने और छिप्र गति में मुख्य अंतर यह है कि छिप्र गति वह गति होती है, जो उचित समय पर सजग हो जाने पर की जाती है। छिप्र गति में व्यक्ति समय नष्ट ना करते हुए आगे बढ़ता है।
घबराकर और हड़बड़ाकर भागने वाला वह व्यक्ति है, जो समय पर सचेत नहीं होता और समय निकल जाने के बाद घबराकर हड़बड़कर कर भागता है और बेतहाशा दौड़ कर अपने से आगे निकल जाने वाले लोगों की बराबरी करने का प्रयास करता है।
क्षिप्र गति में व्यक्ति समय से पहले ही सजग हो जाता है और उचित समय पर आगे बढ़ना शुरू करता है। वह समय नष्ट नहीं करता इसलिए उसे किसी से आगे निकलने की होड़ नहीं रहती।
व्याख्या :
“इसे जगाओ” कविता हिंदी के प्रसिद्ध कवि ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ द्वारा लिखी गयी है।
कवि कहता है कि तेज भागने और हड़बड़ाहट में भागने की प्रक्रिया में अंतर है। तेज भागने में मनुष्य समय का ध्यान रखते हुए सजगता से भागता है जबकि हड़बड़ाहट में केवल घबराहट होती है और मनुष्य उस घबराहट में सही लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता। इसलिए सूरज तुम इसे जगा दो, पवन तुमसे जब झकझोर दो, पक्षियों उसके कान के पास जाकर चिल्लाओ ताकि ये समय से जाग जाए और अपने दैनिक कार्यों में लग जाए।
#SPJ3
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कुछ और जानें...
सूरज इसे जगाओ, कवित का भावार्थ।
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भावार्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर।
(ख) पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन।
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