Hindi, asked by ankushkataria464, 5 months ago

घमंडों में भरा ऐठा हुआ,
एक दिन जब था मुंढरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मुंठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऍठ बेचारी दबे पाँवा भगी।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब 'समझ' ने यों मुझे ताने दिए।
एंटता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'​

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Answered by meghagupta0013
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nice poem written by ayodhya singh upadhyay

hariood

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