घनानंद के अनुसार प्रेम का मार्ग कैसा है
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घनानंद प्रेम के मार्ग को अत्यंत सरल बताते हैं, इन में कहीं भी वक्रता नहीं है। अति सूधो सनेह को मारग है, जहाँ नेकु सयानप बांक नहीं। कवि अपनी प्रिया को अत्यधिक चतुराई दिखाने के लिए उलाहना भी देता है। कवि अपनी प्रिया को प्रेम पत्र भी भिजवाता है पर उस निष्ठुर ने उसे पढ़कर देखा तक नहीं।
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घनानंद के अनुसार प्रेम का मार्ग अत्यंत सरल है।
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घनानंद प्रेम के मार्ग को अत्यंत सरल बताते हैं, इन में कहीं भी वक्रता नहीं है। अति सूधो सनेह को मारग है, जहाँ नेकु सयानप बांक नहीं। कवि अपनी प्रिया को अत्यधिक चतुराई दिखाने के लिए उलाहना भी देता है। कवि अपनी प्रिया को प्रेम पत्र भी भिजवाता है पर उस निष्ठुर ने उसे पढ़कर देखा तक नहीं। घनानंद को प्रेम का पीर भी कहा जाता है।
अतः सही उत्तर है, प्रेम का मार्ग अत्यंत सरल है।
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