Hindi, asked by kritika9794, 1 month ago

घनानंद का मूल भाव बताइए​

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Answered by dewanganh980
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Explanation:

घनानंद प्रेम के मार्ग को अत्यंत सरल बताते हैं, इन में कहीं भी वक्रता नहीं है। अति सूधो सनेह को मारग है, जहाँ नेकु सयानप बांक नहीं। कवि अपनी प्रिया को अत्यधिक चतुराई दिखाने के लिए उलाहना भी देता है। तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ कहौ मन लेहूं पै देहूं छटांक नहीं।

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