घनानंद रीतिकाल किस धारा के कवि है
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घनानंद (१६७३- १७६०) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
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घनानंद रीतिकाल किस धारा के कवि है?
‘घनानंद’ रीतिकाल काव्य धारा के प्रसिद्ध कवि रहे हैं।
उनका काल समय 1673 से 1760 के के बीच का माना जाता है। ‘घनानंद’ रीतिकाल की तीनों प्रमुख काव्य धाराओं रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त के अग्रणी कवि माने जाते हैं। वह मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के पीर मुंशी यानि खास कलम थे, जिसे आज की भाषा में निजी सेक्रेटरी कहा जाता है।
घनानंद को साहित्य और संगीत दोनों में महारत हासिल थी। वह प्रेम की मस्ती और संयोग एवं वियोग श्रृंगार के कवि रहे हैं। अपने जीवन काल में वह किसी ‘सुजान’ नाम की नृतकी या वेश्या के प्रति प्रेम में पड़ गये थे, इस कारण उन्होंने सुजान सागर, सुजानहित जैसे ग्रंथों की रचना भी की।