Hindi, asked by shaileshsuikey, 3 months ago

घनानन्द की प्रेम भावना पर
लिखिए​

Answers

Answered by TGSanjay11z
0

(the value of 4753980 , 6300 , 7056720 = 7×7×11 , 7 , 11 are not match with each three pairs but the main thing is the value of 4753980 is 7×7×11 is this pair is matching , yes in both 6300 and 7056720 they are = 7 is match in 6300 is 7 and 11 is match in 7056720)

Answered by daskaron0397
0

Answer:

घनानंद के जीवन में प्रेम का स्थान बड़ा ही ऊँचा है। इनका सारा जीवन और काव्य प्रेम रुपी रस से ओत-प्रोत है। इनका प्रेम सामान्य नहीं है, उदात्त है। परन्तु फिर भी वायवीय नहीं है, शरीरी है। इन्होंने सुजान के पेशे आदि को नज़रअंदाज उससे प्रेम किया और उससे नकारात्मक प्रतिक्रिया पाकर भी उससे प्रेम करना नहीं छोड़ा बल्कि अपने इस प्रेम तथा सुजान को अपनी रचनाओं से अमर बना दिया। प्रेम के मार्ग में इन्हे जो ठेस लगी उससे वे निराश नहीं हुए बल्कि और भी उत्साह से प्रेम के पथ पर आगे बढ़ते गए और अपने प्रेम को आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा तक पंहुचा दिया। इन्होंने जिस तरह डूब कर सुजान से प्रेम किया उसी तरह डूब कर कृष्ण की भक्ति भी की। इन्होंने प्रेम और भक्ति के बीच की रेखाओं को मिटा दिया। इनका लौकिक प्रेम कब लोक की सीमाओं का अतिक्रमण कर लोकोत्तर तक पहुँच जाता है यह पता ही नहीं चलता।

घनानंद को प्रेम में पीड़ा मिलती है पर ये उस पीड़ा में ही आनंद का अनुभव करते हैं। प्रेम को ये साधना का दर्जा देते हैं तथा प्रेम के दोनों ही पक्षों का सम्पूर्णता से अनुभव करते हैं। ये संयोग का अनुभव जिस तन्मयता के साथ करते है, वियोग का भी उसी तन्मयता के साथ करते है। इनके प्रेम में पलायन का भाव कहीं नहीं मिलता है और न ही निराशा दिखती है। प्रेम में विरह से पलायन के लिए मृत्यु का वरन करना तो इनकी दृष्टि में कायरता है।

घनान्द की प्रेमानुभूति अद्भुत है, अद्वितीय है। ऐसा इसलिए है की ये उनकी स्वभुक्त अनुभूति है न की किताबी अथवा सुनी-सुनाई । इनका का पूरा जीवन ही प्रेम को समर्पित है। इस तरह से डूब कर प्रेम करने वाले शयद ही मिले। इनकी प्रेमानुभूति इतनी विलक्षण थी तथा कृष्ण और ब्रज-भूमि के कण-कण से से इन्हें इतना प्रेम था कि ये ब्रज की रज में लोटते हुए मारना चाहतें थें। कहा जाता है कि नादिरशाह के सैनिक जब इन्हें मारने लगे तब इन्होंने उनसे मुस्कुराते हुए कहा था की वे उन्हें तड़पा-तड़पा कर धीरे-धीरे मारें ताकि वह ब्रज की रज में भली-भांति लोट कर ही मरें। प्रेम की ऐसी विलक्षण अनुभूति अन्यत्र दुर्लभ है।

Similar questions