Hindi, asked by 16bhumi, 9 months ago

''Ghandi ji ka balyakal par nibandh'' hindi ma (500 shabdo ma) please send me fast its very urgent​

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Answered by bhavesh786
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Answer:

इस शताब्दी में संसार में अनेक देश स्वतन्त्र हुए हैं। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष किया। इसके लिए उन्हें खून की नदियाँ भी बहानी पड़ी। पर भारत ही एक ऐसा विशाल देश है जिसने अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर स्वतन्त्रता प्राप्त की है। उसे खून की नदियाँ नहीं बहानी पड़ी। इसका श्रेय महात्मा गांधी को जाता है।

जन्म और बाल्यकाल- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर सन 1869 ई. में पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। यह स्थान गुजरात में है। इनके पिता एक रियासत में दीवान थे। इनकी माता धर्म कर्म में विश्वास रखने वाली महिला थीं। गांधी जी को सदाचार की शिक्षा अपनी माँ से मिली थीं।

दक्षिण अफ्रीका की यात्रा-वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आप भारत वापस आ गए। यहाँ उन्होंने वकालत आरम्भ कर दी, पर संकोची स्वभाव के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। सन् 1893 ई. में एक मुस्लिम व्यापारी का मुकदमा लड़ने के लिए वे अफ्रीका गए। वहाँ अंग्रेजी शासक भारतवासियों पर बहुत अत्याचार करते थे। गांधी जी यह सहन नहीं कर सके। उन्होंने गोरों द्वारा बरती जा रही जाति भेद की नीति का भी विरोध किया। उन्होंने वहाँ रहकर अंग्रेजों के विरूद्ध आन्दोलन चलाया। इसमें उन्हें बहुत सफलता मिली।

भारत वापसी- अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन आरम्भ कर दिया। तिलक और गांधी ने मिलकर स्वतन्त्रता आन्दोलन को और तेज किया। गांधी जी कई बार जेल भी गए।

असहयोग आन्दोलन- सन 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। सन 1930 ई. में उन्होंने ‘नमक कानून’ का विरोध किया और सन 1942 में भारत छोड़ो। आन्दोलन चलाया। सभी आन्दोलनों में गांधी जी को जनता का सहयोग मिला।

गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तों पर चलकर अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी। गांधी जी के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 में स्वतन्त्रता मिल गई। गांधी जी वास्तव में युग निर्माता थे।

भारत को स्वतन्त्रता तो मिल गई, पर उसे अंग्रेजों ने दो भागों में बांट दिया- भारत और पाकिस्तान।

गांधी जी की हत्या- 30 जनवरी 1948 को गांधी जी बिड़ला मन्दिर में प्रार्थना सभा में जा रहे थे। तभी नत्थू राम गोडसे ने गांधी जी पर गोलियाँ चला दीं। इससे अहिंसा के पुजारी गांधी जी का निधन हो गया। 30 जनवरी सारे भारत में बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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