Ghar aaye aathithi satkar ka anubhav katha kathan k rup me 100 shabd
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हमारे संस्कृति में कहा गया है अतिथि देवों भवा
अर्थात अतिथि भगवान के समान होता है उसका कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए
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