Hindi, asked by krs768862, 6 months ago

ghar lotate majdur rchnatam lekh​

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Answered by Anonymous
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रोजी-रोटी के लिए अपने घरों से दूर रहने वाले हजारों मजदूर लॉकडाउन होने के बाद अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो चुके हैं. हाथों में थैला है और आंखों में उम्मीद कि जिंदगी का यह इम्तिहान भी वे किसी तरह से निकाल ही लेंगे.

महानगरों में काम करने वाले अप्रवासी मजदूर लॉकडाउन की वजह से इन बड़े शहरों में फंस गए हैं. 24 मार्च से देश में तीन हफ्तों के लिए लॉकडाउन लागू हो चुका है. लॉकडाउन की वजह से जो जहां है वहीं फंस गया है. कुछ ऐसे भी लोग हैं जो महानगरों में अच्छी जिंदगी और कुछ रुपये कमाने की उम्मीद से घर और गांव छोड़कर आए थे अब उनके पास ना तो छत है और ना ही कोई सहारा देने वाला. अब ऐसे लोग पैदल ही अपने गांव और घर की ओर बढ़ चले हैं, तो कोई रिक्शे से सफर कर रहा है. हाथों में थैला है और थैले में बिस्कुट है, पानी की बोतल और आंखों में यह उम्मीद की एक, दो या तीन दिन में ही सही वे अपने घरों को पहुंच जाएंगे. उन्हें भरोसा है कि वह इसी तरह से चलकर या रिक्शा चलाकर अपने गांव तक पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे.

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