घर जलाने से कबीर का क्या तात्पर्य है?
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➲ घर जलाने से कबीर का तात्पर्य है कि उन्होंने अपने मन के अंधकार को और अपने शरीर में बसने वाले विषय-वासनाओं रुपी घर को जला दिया है। उन्होंने संसार के मोह-माया और अज्ञानता के अंधकार को ज्ञान की लकड़ी से जला दिया है। अब जिन्हें उनके साथ चलना है तो उन्हें भी अपना विषय-वासना, मोह-माया, अज्ञानता रूपी घर को जलाना पड़ेगा। कबीर कहते हैं कि...
हम घर जाल्या आपणाँ लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि।।
अर्थात मन का अंधकार, अज्ञानता का अंधकार, विषय-वासना, एवं मोह-माया यह सब ईश्वर की प्राप्ति में बाधक है। जब तक मनुष्य इन दुर्गुणों से ग्रस्त है, तब तक वो ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकता। इसलिए ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपने मन के अंधकार मन की अज्ञानता, विषय वासनाओं को समाप्त करना पड़ेगा।
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