घर के बड़े बूढों द्वारा बच्चे को सुनाई जाने वाली
एक कहानी को लिखिए।
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chor aur bhudi maa ki kahani
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जीवन उतार-चढ़ाव का नाम हैजीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ आती जाती रहती हैं उनका सामना करने के लिए सभी को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिएइन समस्याओं के सामने व्यक्ति हिम्मत न हार बैठे, इसलिए घर के बड़े-बूढों द्वारा समय-समय पर ऐसी कहानियाँ सुनाई जाती हैंजिनकी मदद से कठिनाइयों पर विजय पा सकेंयहाँ ऐसी ही एक कहानी प्रस्तुत है
संस्कृत साहित्य के महान कवि कालिदास का नाम हम सभी जानते हैंवे संस्कृत साहित्य के बहुत बड़े कवि तथा नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैंउन्हें दूसरा शेक्सपीयर भी कहा जाता है
कालिदास का जन्म कहाँ हुआ, कब हुआ, उनका बचपन का क्या नाम था, इस बारे में कुछ ठीक-ठीक बता पाना मुश्किल हैइतना जरूर पता है कि ये बचपन में बहुत ही मूर्ख थे तथा गरीबी में जीवन बिता रहे थेवे जहाँ रहते थे, वहीं कहीं आस-पास में विद्योत्मा नामक युवती रहती थी जो बहुत ही विदुषी थीउसने शास्त्रों का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया थावह अपना विवाह अपने से योग्य पुरुष से करना चाहती थीउसने घोषणा कर दी थी कि जो भी उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा वह उसी के साथ विवाह करेगीउसकी घोषणा सुनकर बहुत से ज्ञानी ब्राह्मण कुमार आते रहे, पर वे विद्योत्मा को शास्त्रार्थ में हरा न पाते और पराजित हो लौट जाते पराजय से अपमानित ब्राह्मणों ने मिलकर एक योजना बनाई कि इसने बहुत से ब्राह्मणों का अपमान किया हैअब इसका विवाह किसी भी तरह किसी बज्रमूर्ख से करा देना चाहिएये ब्राह्मण युवक किसी महामूर्ख की तलाश में निकल पड़ेजंगल के रास्ते में उन्होंने पेड़ पर एक युवक को कुछ काटते सुनाब्राह्मणों ने पास जाकर देखा कि युवक तो उसी डाल को काट रहा है, जिस पर वह बैठा हैउन्होंने युवक को नीचे बुलाया और कहा कि यदि वह उनके कहे के अनुसार कार्य करे तो वे उसका विवाह अत्यंत सुंदर युवती से करा देंगेविवाह की बात सुनकर युवक उनकी बात मानने को तैयार हो गयाब्राहमणों ने उसे अपनी योजना समझा दी और पंडित वेशधारण कराकर उसे विद्योत्मा के पास ले गएशास्त्रार्थ शुरू होने से पहले ही ब्राह्मणों ने विद्योत्मा को बताया कि ये हमारे गुरु हैं जिन्होंने आजकल मौन व्रत धारण कर रखा हैइस समय वे केवल इशारों में शास्त्रार्थ करेंगेशास्त्रार्थ शुरू हुआविद्योत्मा ने एक उँगली मूर्ख युवक को दिखाई, जिसका जवाब उसने दो उँगलियाँ उठाकर दींजब विद्योत्मा ने पाँचों उँगलियाँ दिखाई तो मूर्ख युवक ने अपनी अंगुलियाँ और हथेली बंदकर दिखाई शास्त्रार्थ में विद्योत्मा पराजित हो गई और उसका विवाह उस मूर्ख युवक से हो गयाकुछ समय बाद जब विद्योत्मा को पता चला कि उसका पति मूर्ख है तो उसने अपने पति को घर से निकाल दिया।
पत्नी से अपमानित वह युवक काली मंदिर में रहने लगा और काली की पूजा अर्चना तथा खूब तपस्या की इससे उनका नाम कालिदास पड़ गयाउसने विद्या अध्ययन किया और विद्वान बनकर पत्नी के पास आयाउसने संस्कृत साहित्य में अनेक काव्य एवं नाट्यग्रंथों की रचना की जिनमें अभिज्ञान शाकुंतलम, मेघदूत, विक्रमोर्वशीयं आदि बहुत ही प्रसिद्ध हैंकहा जाता हैकि संस्कृत साहित्य में कालिदास के समान दूसरा नाटककार नहीं हुआ।