"घर कि याद कविता"मे कारागृह में कवि का वजन कितना और कैसे हुआ?
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80 वजन हो गया था क्योंकि वह देश के लिए जेल गया था
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"घर कि याद कविता"मे कारागृह में कवि का वजन कितना और कैसे हुआ ?
घर की याद कविता में कवि का भजन सत्तर सेर हो गया था। कवि का वजन कारावास में एक ही जगह पर रहने का कारण हुआ क्योंकि कारावाास में वह कवि को एक ही काल-कोठरी कैद रहना पड़ता था।
कवि कहता है कि...
और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर से मेरा,
और भोजन ढेर मेरा
अर्थात कवि कहता है कि मैं यहाँ पर मस्त हूं अर्थात मैं यहाँ पर प्रसन्न हूँ, सुखी हूँ। मैं यहाँ पर सूत कातने में व्यस्त रहता हूँ। मेरा वजन सत्तर सेर हो गया है। मेरे पास खाने-पीने के लिए ढेर सारा भोजन भी उपलब्ध है।
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