Hindi, asked by hemachaudhary444, 11 hours ago

घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिकों को काम करता देखकर भी हम उदासीन क्यों बने रहते हैं ? (क) हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं । (ख) हम जागरूक बनना नहीं चाहते | (ग) हम उनकी सहायता करना नहीं चाहते | (घ) हम संवेदना शून्य हो चुके हैं |​

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Answered by asadarsh3215
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Answer:

हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं

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