घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिकों को काम करता देखकर भी हम उदासीन क्यों बने रहते हैं ? (क) हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं । (ख) हम जागरूक बनना नहीं चाहते | (ग) हम उनकी सहायता करना नहीं चाहते | (घ) हम संवेदना शून्य हो चुके हैं |
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हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं
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