घर में खेती के काम आने वाले औज़ारों के नाम लिखों।
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घर में काम आने वाले औजारों के नाम :- घर में प्रमुख रूप से हँसिया, चाकू, हथौड़ा, सरोता, ओखली, आरी आदि औजारों का प्रयोग किया जाता है |
खेती में काम आने वाले औजार:- भारत के जो गाँव नगरों के निकट हैं वहाँ पर खेती के नये-नये औजारों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, क्योंकि एक तो गाँव वालों को इन औजारों के बारे में नगरों से सूचना मिलती रहती है और दूसरे ये औजार नगरों में आसानी से मिल जाते हैं तथा खराब हो जाने पर ये नगरों में आसानी से ठीक भी कराये जा सकते हैं।
परन्तु आज भी देश के अधिकतर गाँव नगरों से बहुत दूर हैं।
इन गाँवों में आज भी खेती के पुराने औजारों का प्रयोग किया जाता है।
हल अव भी पुराने ढंग के हैं जिनमें कि एक माची लगी होती है जिसको दो बैल खींचते हैं।
कहीं-कहीं पर हल चलाने के लिए भैंसों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
हल में घोड़े का इस्तेमाल भारत में लगभग नहीं के बराबर होता है।
दो प्रकार के हल बहुत प्रसिद्ध हैं-नागरा हल और लौटना हल। ये हल जमीन में तीन-चार इंच तक ही खुदाई कर पाते हैं।
इससे उपज अच्छी नहीं हो पाती। खेत के कोने में हल नहीं पहँच पाते, वहाँ पर कुदाल से खदाई की जाती है।
जमीन जोतने के बाद उसको भुर-भुरी बनाने के लिए तथा ढेलों आदि को फोड़ने के लिए पटेला या निरावन का इस्तेमाल किया जाता है।
यह लकड़ी का दस-बारह फीट लम्बा तख्ता होता है जिसको दो बैल खींचतें हैं और जिस पर दो तीन आदमी खड़े हो जाते हैं।
इससे ढेले फूटते जाते हैं और जमीन भुर-भुरी हो जाती है।
बुआई का काम अधिकतर हाथ से ही किया जाता है।
निराई करने के लिये खुरपी का इस्तेमाल किया जाता है।
हंसिया कटाई का मुख्य औजार है।
ईख आदि को काटने में गंडासा इस्तेमाल किया जाता है।
अनाज को अलग करने के लिये खलियान में अनाज एकत्रित करके उस पर बैलों को चलाया जाता है, जिससे कि दाना और भुस अलग हो जाते हैं।
अब इसको सूप से पछोरा जाता है या सूप में भरकर ऊपर से नीचे गिराया जाता हैं इससे दाने जमीन पर गिरने लगते हैं और भुस उड़कर थोड़ी दूर गिरता रहता है।
यदि हवा नहीं होती तो भुस को उड़ाने के लिये कपड़ा हिलाकर हवा चलाई जाती है।
धान से चावल निकालने के लिये उसको ओखली में डाल कर मूसल से कूटा जाता है और फिर सूप से पछोर कर चावल और भुस अलग कर लिया जाता है।
खेती के उपर्युक्त औजारों के अलावा किसान लोगों को कुछ औजारों की भी जरूरत पड़ती रहती है।
इनमें फरुआ, कुदाली, कुल्हाड़ा और बंका मुख्य हैं।
फरूआ या फावड़े से खुदाई की जाती है।
फरूआ कुदाली से चौड़ा होता है।