"घर में विधवा रही पतोहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन, ,
पकड़ मँगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन।
खैर, पैर की जूती, जोरू,
न सही एक, दूसरी आती,
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लोटते, फटती छाती।इस काव्यांश में कितने मुहावरे हैं
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घर में विधवा रही पतोहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन, ,
पकड़ मँगाया कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन।
खैर, पैर की जूती, जोरू,
न सही एक, दूसरी आती,
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लोटते, फटती छाती।इस काव्यांश में कितने मुहावरे हैं
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