घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी यद्यपि पति घातिन
पकड मंगाया कोतवाल ने
डूब कुएँ में मरी एक दिन
खैर पैर की जुती जोरु
न सही एक दुसरी आती
पर जवान लडके की सुध कर
साँप लोटते फटती छाती
इस कविता में मारी के प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्पणी लिखिए
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इस कविता में मारी किसान की पुत्र वधू का नाम है, मारी घर की लक्ष्मी थी किंतु उससे घर के सभी सदस्य घृणा करते थे, किंतु किंतु उससे लोग घातीन के समान देखते थे, यहां यहां तक कि लोगों ने कोतवाल तक पहुंचा दिया।।
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