Hindi, asked by palsonam870gmailcom, 3 months ago

घर में विधवा रही पति हूं लक्ष्मी की याद आती प्रतिघात इन पकड़ मकईया कोतवाल ने धूप पुणे में मरी एक दिन खैर पैर की जूती जोरू ना सही एक दूसरी आती पर जवान लड़के की शुद्ध कर सांप लौटते फटती छाती पर काव्यांश का हिंदी अर्थ बताइए​

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Answered by pinki12
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Answer:

(क )

प्रस्तुत पंक्तियां वे आंखें कविता में किसान के उजड़े हुए घर का वर्णन करने के लिए सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई है इन पंक्तियों में किसान की वेदना तो है ही साथ ही समाज और परिवार में स्त्री के प्रति बुरी भावना का भी परिचय मिलता है -कवि स्त्री की दयनीय स्थिति से पाठक को अवगत करवाना चाहता है

विपरीत परिस्थितियों में अनेक आर्थिक संकटों के चलते किसान ने अपनी पत्नी पुत्र पुत्री बैलों की जोड़ी आदि को खो चुका है अब उसके घर में केवल उसके मृत पुत्र की विधवा बहू बची है परिवार की उजड़ी हुई दशा को सहन कर पाना बड़ा ही कठिन है

इस कविता में मारी किसान की पुत्रवधू का नाम है. किसान अपनी पुत्रवधू को घर की लक्ष्मी के रूप में लाता है लेकिन अब वे उसे पति घातिन मानता है. इसका कारण यह है कि किसान संस्कृति में और हमारे समाज में पत्नी की मृत्यु से पूर्व यदि पति की मृत्यु हो जाती है तो उसे अच्छा नहीं माना जाता. पति की मृत्यु का कारण भी वह स्त्री को ही मानते हैं. यह हमारे समाज के संकीर्ण मानसिकता की ओर इशारा करता है. यही कारण है कि किसान अपनी पुत्रवधू को पति घातिन मानता है

जब कोतवाल उसकी पुत्रवधू को बुलाता है तो उसकी पुत्रवधू कुएं में कूदकर आत्महत्या कर लेती है. किसान अपनी पुत्रवधू की मृत्यु से उतना दुखी नहीं होता क्योंकि वह यह मानता है कि स्त्री तो पैर की जूती के समान है. एक गई तो दूसरी आ जाती है. परंतु वह अपने पुत्र की मृत्यु से बहुत दुखी है.

इस प्रकार किसान के माध्यम से कवि ने समाज में औरत की दयनीय दशा का चित्रण किया है कि आज भी समाज में स्त्री को उस सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता जिसकी वह अधिकारी है.

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