) घर में विधवा रही पतोहू , लक्ष्मी थी इस कविता में मारी के प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्पणी लिखिए-
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प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा रचित कविता वे आँखें से उद्धृत हैं | प्रस्तुत कविता में, कवि पंत जी के द्वारा भारतीय कृषकों के शोषण व दयनीय दशा को वर्णित किया गया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि किसानों की दयनीय स्थिति का बेहद मार्मिक चित्रण करते हुए कहते हैं कि जो शोषित किसान हैं, उनकी आँखें मानो अँधेरी गुफा के समान दिखती हैं, जिनसे मेरा मन भयभीत है | ऐसा प्रतीत होता है कि उनमें दूर तक कोई कष्टप्रद व दुःख का मौन रुदन भरा हुआ है |
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ईस कविता मै मारी क़े प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्प्णी लिखिए
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