Gheteaijashan se aap kya samajhte hai question answer in Hindi class 8
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यहाँ आपका जवाब है
मित्र!!!!
पाठ का सार
लेखक आज के समय में फैले हुए डकैती ,चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार से बहुत दुखी है। आजकल का समाचार पत्र आदमी को आदमी पर विश्वास करने से रोकता है। लेखक के अनुसार जिस स्वतंत्र भारत का स्वप्न गांधी, तिलक, टैगोर ने देखा था यह भारत अब उनके स्वप्नों का भारत नहीं रहा। आज के समय में ईमानदारी से कमाने वाले भूखे रह रहे हैं और धोखा धड़ी करने वाले राज कर रहे हैं।
लेखक के अनुसार भारतीय हमेशा ही संतोषी प्रवृति के रहें हैं। वे कहते हैं आम आदमी की मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कानून बनाए गए हैं किन्तु आज लोग ईमानदार नहीं रहे। भारत में कानून को धर्म माना गया है, किन्तु आज भी कानून से ऊँचा धर्म माना गया है शायद इसी लिय आज भी लोगों में ईमानदारी, सच्चाई है। लेखक को यह सोचकर अच्छा लगता है कि अभी भी लोगों में इंसानियत बाकी है उदहारण के लिए वेबस और रेलवे स्टेशन पर हुई घटना की बात बताते हैं।
इन उदाहरणो से लेखक के मन में आशा की किरण जागती है और वे कहते हैं कि अभी निराश नहीं हुआ जा सकता। लेखक ने टैगोर के एक प्रार्थना गीत का उदाहरण देकर कहा है कि जिस प्रकार उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि चाहे जीतनी विप्पति आये वे भगवान में ध्यान लगाएं रखें। लेखक को विश्वास है की एक दिन भारत इन्ही गुणों केबल पर वैसा ही भारत बन जायेगा जैसा वह चाहता है। अतः अभी निराश न हुआ जाय।
प्रश्न अभ्यास
प्र॰1 –
लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर –
लेखक आशावादी दृष्टि कोण के हैं। उन्हें लगता है कि जब तक देश में कहीं न कहीं थोड़ी बहुत भी सच्चाई और ईमानदारी है तब तक यह गुंजाइश भी है कि वह अपने सपनों का भारत अभी भी पा सकते हैं। इसलिए लेखक धोखा खाने पर भी निराश नहीं होते हैं।
प्र॰2 --
Aदोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर –
दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले लेता है जब किसी के आचरण के गलत पक्ष को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है रास लिटा जाता है।
प्र॰3 –
आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर –
दोषों का पर्दाफ़ाश करना उचित है किन्तु जब मीडिया कर्मी किसी स्वार्थ वश याचैनल और अखबार को प्रचारित करने के लिए खबर को उलटा-सीधा रूप देकर प्रस्तुत करते हैं तब यह पर्दाफ़ाश आम लोगों के लिए बुराई का रूप धारण कर लेता है। समाचार तभी सच्चे और अच्छे हो सकते हैं जब उन मे सार्थकता होत था पक्ष को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए।