gillu lesson summary in hindi
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गिल्लू पाठ सार इस पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के उस पड़ाव का वर्णन किया है जहाँ उन्होंने एक गिलहरी के बच्चे को कौवे से बचाया था और उसे अपने घर में रखा था। लेखिका ने उस गिलहरी के बच्चे का नाम गिल्लू रखा था। ... जब लेखिका ने निकट जाकर देखा तो पाया कि वह छोटा सा जीव एक गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है।
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इस प्रस्तुत पाठ में एक चंचल तथा तेज गति से दौड़ने वाली जीव जो गिलहरी है, उससे लेखिका के अद्भुत प्रेम का परिचय मिलता है। गिलहरी का एक छोटा-सा बच्चा शायद घोंसले से गिर गया है जिस पर नासमझ कौए टूट पड़े हैं। कौए उसके शरीर में अपना आहार ढूँढ़ने की चेष्टा में हैं। लेखिका की दृष्टि अनायास उस नवजात बच्चे पर पड़ी, जिसे वह बचाने का पूरा प्रयास करने लगीं। लेखिका ने ध्यान से उस नवजात गिलहरी को देखा तो कौए की चोंच के दो निशान मिले। यदि लेखिका उसका उपचार सही ढंग से नहीं करती तो शायद गिलहरी का यह बच्चा जीवित नहीं रहता।
लेखिका उस गिलहरी को जिंदा रखने के लिए रुई की पतली बत्ती को दूध में भिगोकर उसके मुँह में दूध डालने लगी। पहले वह जीव मरने के समान दिख रहा था लेकिन लेखिका की सेवा से वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया। लगभग तीन दिन होते-होते वह जीव अपने पंजे हिलाने की स्थिति में आ गया और लेखिका की उँगली अपने पंजे से पकड़ने लगा।