Hindi, asked by supriyasinghkanhabag, 1 month ago

gita ka marm kahani ka sar apne sabdo me likho​

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Answered by vermaannu2115
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| गीता सार ||

★ क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो ? किससे व्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हें मार सकता है ? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है।

★ जो हुआ , वह अच्छा हुआ , जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है , जो होगा , वह भी अच्छा ही होगा । तुम अतीत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता मत करो । वर्तमान चल रहा है , इसलिए उस पर ध्यान केंद्रित करो ।

★ तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो ? तुम क्या लाए थे , जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था , जो नष्ट हो गया ? न तुम कुछ लेकर आए थे और न ही तुम कुछ लेकर जाओगे , जो लिया यहीं से लिया ; जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया , इसी (भगवान) से लिया और जो दिया, इसी को दिया।

★ खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है , कल किसी और का था, परसों किसी और का हो जाएगा । तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो , बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है ; माया की चकाचौंध में मत पड़ो , माया ही सभी दुखों का मूल कारण है ।

★ परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो , वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो , तुम्हें ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है । मेरा-तेरा , छोटा-बड़ा , अपना-पराया , मन से मिटा दो , फिर सब तुम्हारे हैं , तुम सबके हो।

★ न यह शरीर तुम्हारा है , न तुम शरीर के हो। यह शरीर पंचतत्वों ( अग्नि , जल , वायु , पृथ्वी , आकाश ) से बना है और इसी में मिल जायेगा । परन्तु आत्मा अमर है - फिर तुम क्या हो ।

★ तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इस शस्त्र-हीन सहारे को जानता है वह भय , चिन्ता , शोक और दुःख से सर्वदा मुक्त है।

★ जो कुछ भी तुम करते हो , उसे भगवान के अर्पण करते चलो । ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनन्द अनुभव करोगे ।।

भगवान shri krishna ji कहते हैं कि हमें इस मायारूपी संसार को मन से त्याग देना चाहिए तथा निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए और यह सब विस्तार स्वरूप में गीता में बताया गया है ।

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