Hindi, asked by meghakatiyar1, 1 year ago

give 4-4 example of each रस?

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Answered by Nupurmehra
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हास्य रस 
1)जो  भी दोहा  पाठ  में, ताली  नहीं  बजाए। 
उस नर को विद फैमिली, पुलिस पकड़ ले जाए॥ 
2) कोई  कील  चुभाए तो , उसे  हथौड़ा  मार।  
     इस युग में तो चाहिए, जस को तस व्यवहार ॥
​3) पैसा पाने का तुझे बतलाता हूँ प्लान ।
      कर्ज़ा लेकर बैंक से हो जा अन्तर्धान ॥
​4) धन चाहे मत दीजिए, जग के पालनहार ।
      पर इतना तो कीजिए मिलता रहे उधार ॥

श्रंगार रस
1)दरद कि मारी वन-वन डोलू वैध मिला नाहि कोई |
मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई ||
2)मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई |
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई ||
3)बसों मेरे नैनन में नन्दलाल |
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल ||
4)अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा |
इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा ||

करुण रस
1)धोखा न दो भैया मुझे, इस भांति आकर के यहाँ |
मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहाँ ||
2)सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ |
सुग्रीव बोले साथ में सब (जायेंगे) जाएँगे वानर वहाँ ||
3)दुःख ही जीवन की कथा रही |
क्या कहूँ, आज जो नहीं कहीं ||
4)रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के |
ग्लानि, त्रास, वेदना - विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके ||

शांत रस
1)जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं |
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं ||
2)देखी मैंने आज जरा |
हो जावेगी क्या ऐसी मेरी ही यशोधरा ||
हाय! मिलेगा मिट्टी में वह वर्ण सुवर्ण खरा |
सुख जावेगा मेरा उपवन जो है आज हरा ||
3)लम्बा मारग दूरि घर विकट पंथ बहुमार |
कहौ संतो क्युँ पाइए दुर्लभ हरि दीदार ||

भक्ति रस
1)अँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई |
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई ||
2)उलट नाम जपत जग जाना |
वल्मीक भए ब्रह्म समाना ||
3)एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास |
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास ||

वीर रस
1)मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे
है और कि तो बात क्या, गर्व मैं करता नहीं
मामा तथा निज तात से भी युद्ध में डरता नहीं
2)साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के,
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं।।
3)बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी |
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी ||
4)मानव समाज में अरुण पड़ा जल जंतु बीच हो वरुण पड़ा |
इस तरह भभकता राजा था, मन सर्पों में गरुण पड़ा ||

अदभुत रस
1)देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया
2)देखरावा मातहि निज अदभुत रूप अखण्ड
रोम रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड

भयानक रस
1)अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल
कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार
2)एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय
विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय

वात्सल्य रस
1)बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति
2)सन्देश देवकी सों कहिए
हौं तो धाम तिहारे सुत कि कृपा करत ही रहियो
तुक तौ टेव जानि तिहि है हौ तऊ, मोहि कहि आवै
प्रात उठत मेरे लाल लडैतहि माखन रोटी भावै

रौद्र रस
1)उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा
2)अतिरस बोले वचन कठोर
बेगि देखाउ मूढ़ नत आजू
उलटउँ महि जहँ जग तवराजू
3)मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ , क्या काल ही क्रोधित  हुआ?

वीभत्स रस
1)आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे
2)मकडियों के जाल मुँह पर और सर के बाल मुँह पर मच्छरों के दंश वाले दाग काले लाल मुँह पर वात झंझा वहन करते
3)खींचत जी भहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत
गिद्ध जाँघ कह खोदि-खोदि के मांस उचारत
स्वान आँगुरिन काटि-काटि के खान बिचारत

Anonymous: veru nice answer thank you so much
Anonymous: Di
Anonymous: hapy holi
Answered by mihirsthacker
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 1. श्रृंगार रस 

"गाता शुक जब किरण बसंती छूती अंग पर्ण से छनकर

किंतु शुकी के गीत उमड़कर रह जाते सनेह में सन कर"

2    वीर रस

" वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं

वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं"

3    शांत रस

" माली आवत देखि के कलियनुँ करे पुकार

फूले फूले चुन  लई काल्हि हमारी  वार"

4    करुण रस

"हां सही न जाती मुझसे अब आज भूख की ज्वाला 

कल से ही प्यास लगी है हो रहा ह्रदय मतवाला"

5   रौद्र रस

"रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार

धनुही सम त्रिपुरारी धनु विदित सकल संसार "

6 भयानक रस

"एक ओर अजगर ही लखि एक ओर मृग राय

विकल बटोही बीच ही परर्यो  मूर्छा खाए"

7 वीभत्स रस 

"सिर पर बैठ्यो काग आंख दोउ खात निकारत

खींचत जीभहिं स्यार अतिहिआनंद उर धारत"

8 अद्भुत रस

"अखिल भुवन चर अचर सब हरि मुख में लखि मातु

चकित भई गद् गद वचन विकसित दृग पुलकातु"

9 हास्य रस

"लाला की लाली यों बोली 

सारा खाना ये चर जाएंगे 

जो बच्चे भूखे बैठे हैं 

क्या पंडित जी को खाएँगे "।


Anonymous: happy holi
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